Monday, December 1, 2008

कुन्ती और गांधरी दोनों जल कर भस्म हो गए।

शौनक! बहुत समय हो गया एक बार अर्जन भगवान श्री कृष्ण के पास से लौटकर नहीं आए। पाण्डवों को अपशकुन हुए। उस समय उनको महात्मा विदुर भी मिल गए। विदुरजी ने युधिष्ठिर और गांधारी को योग, ज्ञान और भक्ति का उपदेश करके रात में ही भगा दिया। उन्होंने हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर योगाभ्यास के द्वारा परमपद को प्राप्त किया। वहीं जंगल की आग में कुन्ती और गांधरी दोनों जल कर भस्म हो गए। सुबह जब पांडव जागे तो न धृतराष्ट्र मिले न विदुर न गांधरी और न कुन्ती, तो वे बहुत रोए। उस समय देवर्षि नारद ने आकर युधिष्ठिर को धर्म का उपदेश कर, समझा बुझा कर शांत किया।

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