टेसू बनना.... टेसू की गति को छोड़ दिया ब्रह्मा ने। आकाशवाणी हुई, ''तप करो।'' तप..... तप क्या है? संयम और नियम पूर्वक दूसरे का हित साधन करना, यही तप है। किसी को भी कष्ट न देना, ही तप है।
'परहित सरिस धरम नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहिं अधमाई॥'
"मुझे क्या करना है?'' इसको विछार करो। एक बच्चा पढ़ता है तो उसे यही सोचना, कि ÷÷मुझे पढ़ने के लिए क्या करना है।'' पत्नी है, तो उसे सोचना चाहिए कि "मुझे क्या करना है पत्नी के रिश्ते से'' और पति को भी ऐसा ही करना चाहिएऋ एक साधु को साधु का कर्त्तव्य कर्म करना चाहिए। अपने-अपने कर्त्तव्य को पकड़ लें तो भगवान तो दूर हैं ही नहीं।


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