Saturday, December 27, 2008

रुद्र बोलते हैं- कम्पन को, ध्वनि को।

भटके हम भगवान से नहीं, अपने फजर्+ से भटक गए हैं। हम भगवान से दूर नहीं हुए हैं, अपने-अपने फजर्+ को भूल गए हैंऋ इसलिए उससे दूर हो गए ऐसा अनुभव करते हैं। बस फजर्+ को पकड़ लें, वो तो हैं ही हमारे पास में। अपने कर्म को करो, भगवान दूर नहीं हैं। ब्रह्मा ने तप किया। भगवान ने उनके हृदय में दर्शन देकर ब्रह्मा को आदेश दिया कि मेरा ध्यान करते हुए सृष्टि की रचना करो। ब्रह्मा ने अविद्यादि पाँच वृत्तियों को उत्पन्न किया- सनकादि ऋषि उत्पन्न किए, जो सन्यासी हो गएऋ क्रोध उनके भौंहों के बीच से उत्पन्न हुआ, लाल और नीले रंग के रूप मेंऋ जिससे रुद्र भगवान प्रकट हुए। रुद्र बोलते हैं- कम्पन को, ध्वनि को।

No comments: