याहि याहि माम् हा योम्य तेइते जगत्पते नायं तु मयम् पश्चयते, यत्र भक्त्यु परस्परा। ये तब भगवान् श्री ड्डष्ण ने उनके गर्भ में प्रवेश करके सुदर्शन चक्र द्वारा उनके गर्भ की रक्षा की थी। ये जो सुदर्शन चक्र है माया से और भय से बचाने वाला है इसलिए जब कभी भी संकट होतो सुदर्शन चक्र धारी भगवान का स्मरण करने से ध्यान करने से शान्ति मिलती है। इसको स्मरण करने का अभ्यास करना चाहिए और वहीं पर भगवान श्याम सुन्दर कुछ दिन और भी ठहरे। शौनक! इधर भगवान श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र के मैदान में जहाँ भीष्म पितामह बाणों की शैया पर पड़े हुए भगवान श्रीकृष्ण को स्मरण कर रहे हैं - वह कहीं आ जा नहीं सकते हैं बस भगवान को स्मरण करते रहते हैं, आँखों से आँसू निकलते हैं। भगवान उधर ही पाँड़वों, )षि-मुनि, ब्रात्मणों तथा द्रोपदी के साथ पहुँचे। भीष्म पितामह गदगद होकर बोले आइए केशव! जिनकी नाभि से ब्रह्मा का जन्म स्थान कमल उत्पन्न हुआ, आपको मेरा बारम्बार प्रणाम है। आपने जैसे दुष्ट केस के द्वारा कैद तथा शोकग्रस्त देवकी की रक्षा की थी उसी प्रकार मेरी तथा मेरे पौत्रों की भी आपने बार-बार रक्षा की है।
Saturday, December 13, 2008
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