Wednesday, December 24, 2008

न "हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा'' इन्सान की औलाद है, इन्सान बनेगा

÷मैं' कौन हूँ, इसको जानने के लिए, पहले यह जानो कि ÷÷मुझे क्या करना है।'' भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन से यही कहा कि तुझे क्या करना है यह पकड़, ज्यादा ऊँचा-नीचा मत बन, मैं चाचा हूँ, मैं भाई हूँ, भतीजा हूँ, ब्रह्म हूँ, जीत हूँ, हार हूँ, ईश्वर हूँ, बंधन में हूँ, मुक्त हूँ, ये बेकार की बात छोड़ दे। तुझे क्या करना है ये देख।

परन्तु आज आदमी यही भूल गया है, कि "उसका कर्त्तव्य क्या है'' वह क्या करे? बस ये पकड़ के बैठा है कि "मैं कौन हूँ?'' मंत्री है तो मंत्री बना बैठा है, टेसू की तरह। प्रिंसिपल है तो प्रिंसिपल बना बैठा है, टेसू की तरह। पिता है, तो पिता का टेसू बना बैठा है, अफसर है तो अफसर का। हर आदमी जो है उसका टेसू बना बैठा है। क्या करना हैऋ ध्यान ही नहीं। तो क्या करना है? यह जिस दिन ध्यान आएगा उस दिन दुनियाँ में टेसू के गीत बन्द हो जाएंगे। उस दिन इन्सान, इन्सान बन जाएगा। फिर न "हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा'', क्योंकि हिन्दू मुस्लिम क्या है? टेसू ही तो हैं। फिर तो बस "इन्सान की औलाद है, इन्सान बनेगा।''

No comments: