Saturday, November 8, 2008

श्रीमद भागवत कथा अंक 17

महाराज! सबके सब जितने भी राक्षस हैं। सब धरती को अंधेरे में पाताल में ले गए हैं। धरती के मालिक बन गए हैं, मन्त्री, राजा, महाराजा बन गए हैं। ब्रह्माजी के विचार से फिर नासिका के द्वारा परमात्मा प्रकट हुए। देखते ही देखते वे अंगुष्ट प्रमाण वाराह शिशु से बहुत विशाल आकृति लेकर गर्जना करने लगे। तो सब देवताओं को प्रसन्नता हुई तथा राक्षसों को कम्पन हुआ। इस प्रकार वाराह भगवान प्रकट हुए। वाराह का अर्थ होता है पवित्र कर्म को बढ़ावा दे, पर आज के नेता कैसे हो गए हैं? आज के नेता काहे के नेता जो भ्रष्टाचार, लूट खसोट तथा धन्धे खोरी को बढ़ावा देते हैं। तो दो तरह के नेता हैं, एक वाराह भगवान हैं और एक आज के नेता जो अपने घर को सोने से चमका रहे हैं तो हिरण्याक्ष नेता जी हैं। एक तो जो दुनियाँ की खुशी के लिए अपने प्राण संकट में डाल रहे हैं। तो वाराह भगवान ने वहाँ उससे भयंकर युद्ध किया पर वह पकड़ में नहीं आया तो उसकी कनपटी पर जोरदार थप्पड़ मारा, जिससे वो मर गया, उसकी ज्योति भगवान वाराह में प्रवेश कर गई। उन्होंने धरती को मुक्त किया। बोलिए "श्री वाराह भगवान की जय।'' जब तक आदमी छुप करके कुकर्म करने की आदत नहीं छोड़ेगा तब तक देश का और धरती का विकास नहीं होगा। अगर सारे के सारे नेताओं के यहाँ छापे मार दिए जाएं तो देश की गरीबी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। लेकिन जो छापे मारने वाले हैं वो भी राक्षस हैं जिनके यहाँ छापे मारना है, वे भी राक्षस हैं। अलग-अलग कुर्सी के राक्षस हैं। संसद में जाकर सबके सब एक साथ। और जनता को लड़वाने-मरवाने और उनकी जेब पर ीवसक करने के लिए यहाँ भाषण बाजी। ये मर गया तो वाराह प्रकट हो गए। )त्‌ कर्म तभी बहेगा, जब हम अपने दिमाग़ की चमक को अंधेरे के धर्म को छोड़ देंगे, तभी धरती स्वर्ग बन सकती है। छुपकर करने की प्रवृत्ति छोड़ दें नेता तो देश-धरती सुधर जाए। सब नेता दुबक कर छुपकर कुछ न कुछ अवश्य करते हैं। इनका पब्लिक के सामने चेहरा कुछ और है, अंधेरे में असली चेहरा कुछ और। भगवान कहते हैं असली चेहरा ही सामने आना चाहिए। वही नेता है, उसी से धर्म और धरती दोनों आबाद होते हैं।

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