Sunday, November 16, 2008

जहाँ प्रेम नहीं वहाँ कुछ नहीं रह जाता


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

दोनों का विवाह हुआ। बारह वर्षों तक देवहूति ने उनकी सेवा की। उसके उपरान्त कर्दम रिषि ने उनके लिए एक विमान बनाया। विमान मतलब जहाँ न ऊँच हो न नीच हो। विमान का अर्थ ये मत समझ लेना कि कोई हवाई जहाज बनाया। विमान बनाने का अर्थ- ऊँच-नीच से मुक्त होना- जहाँ समानता हो बराबरी हो। जहाँ मान-सम्मान बीच में आ जाए वहाँ पति-पत्नी का रिश्ता नहीं रह जाता। विमान माने प्यार। पति-पत्नी के हृदय में प्रेम है तो गृहस्थ है। जहाँ पति-पत्नी की अपनी-अपनी अकड़ है वहाँ गृहस्थ है ही नहीं वहाँ तो सिर्फ नाटक है नौटंकी है। तो विमान वह जहाँ कोई भी अभिमान पति को नहीं है, कोई भी अभिमान पत्नी को नहीं है। उसमें विहार करते हुए फिर उन्होंने बिन्दुसर में स्नान करने की आज्ञा दी। ऊँच नीच नहीं होनी चाहिए पति पत्नी के बीच। प्यार हो दोनों के बीच तो धर्म स्वयं ही बन जाता है और जहाँ प्रेम नहीं वहाँ कुछ नहीं रह जाता अधर्म ही अधर्म बन जाता है। या समझिए कि प्यार होगा तो धर्म जरूर होगा या फिर यदि धर्म है तो प्यार जरूर होगा। यदि पति पत्नी के बीच कोई शक-शुबह है तो धर्म नहीं है, वहाँ पर, क्योंकि प्यार नहीं है तकरार है। वहाँ सिर्फ नाटकबाजी है। धर्म के साथ प्यार और प्यार के साथ धर्म होता है। बिन्दुसर-प्यार होगा तो धर्म होगा। प्यार ही बिन्दुसर है और धर्म ही बिन्दुसर है।

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