Monday, November 17, 2008

निष्कपट बुद्धि तथा निश्छल कर्म से सम्बन्ध सुन्दर बनता है।

पति को बढ़िया कपड़े तथा बढ़िया श्रृंगार से नहीं रिझाया जा सकता। बढ़िया कपड़े पहनना, श्रृंगार करना ये तो नाचने गाने वाली भी कर लेती हैं, पर वो रिझाने वाली नहीं होती। प्यार से और धर्म से जीत जो होती है तो मजबूत होती है, टिकाऊ होती है। बिन्दुसर में स्नान करने के बाद वहाँ दिव्य कन्याओं ने उन्हें दिव्य आभूषण तथा वस्त्र धारण करवाए। परीक्षित, दिव्य माने पवित्र आचार विचार, पवित्र आचार विचार से पत्नी बनती है। सुन्दर कीमती वस्त्र आभूषण धारण करने से नहीं। तो दिव्य का अर्थ पवित्र आचार विचार।

दिव्य वसन भूषण पहिराए। जे नित हू तन अंगन सुहाए॥

सुन्दर और निष्कपट बुद्धि तथा निश्छल कर्म। हे! परीक्षित इसी से पति पत्नी का सम्बन्ध सुन्दर बनता है।

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