Wednesday, November 26, 2008

दुर्योधन के जाँघ में भीमसेन ने गदा मारी थी

परीक्षित महाराज के जन्म-कर्म के विषय में प्रश्न पूछने पर सूतजी ने शौनक आदि रिषियों को बतलाने लगे, कि जिस समय महाभारत का युद्ध हो चुका था, हे शौनक! उस समय पर दुर्योधन के जाँघ में भीमसेन ने गदा मारी थी और उसके सिर पर लात मारी थी, इसलिये वो पश्चाताप की आग में झुलस रहा था। अपने स्वाभिमान के घेरने पर चीत्कार कर रहा था। रात्रि का समय हो चला था। नजदीक तालाब और घनघोर जंगल में उसकी चीखों और चिल्लाहट के सिवा अगर कुछ सुनाई देता, तो पक्षियों की भयभीत करने वाली भयंकर आवाजें और कभी हिंसक जीवों की भयंकर आवाजें। पूरा का पूरा जो जंगल था, उन आवाजों से जैसे कि भयभीत होकर कर दहल रहा हो। हवायें भी भयावयी और डरावनी थीं और तालाब में जो लहरें उठ रहीं थीं, वो किसी और चीज का संकेत करतीं थीं।

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