Monday, November 10, 2008

श्रीमद भागवत कथा अंक 20

साधु के विरोधी हो गए, धर्म भ्रष्ट हो गए पब्लिक के विरुद्ध हो गए। पब्लिक यानि साधु। फिर पब्लिक उनको बद्दुआएं देती है। जब नेता बिकता है तो पब्लिक बद्दुआएं देती है और नेता का विनाश होता है। कई जन्म खराब होते हैं इन नेताओं के। एक बार महर्षि कश्यप संध्यावन्दन को जा रहे थे, परीक्षित और दिति ने उनका दुपट्टा पकड़ लिया, भोग के लिए। जब उनके गर्भ स्थिर हुआ तो महर्षि कश्यप बोले, अरी दुष्ट स्त्री! पत्नी वो होती है जो पति को धर्म के मार्ग पर लगाए। उसे अपवित्र होने से बचाए। पति को पाप से बचाकर धर्म के मार्ग पर लगाने के लिए धर्म पत्नी होती है। पति मित्र होता है, पत्नी मित्र होती है मित्र वो जो मित्र का भला करे और जो मित्र अपने मतलब के लिए मित्र को अधर्म के मार्ग पर ले जाता है। उसका खुद का पतन होता है, नरक को जाता है और उसको देखने से भी पाप लगता है-

जेन मित्र दुःख होहिं दुखारी, तिनहिं विलोकन पातप भारी।

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