अरे! चमक से तो बाग के बाग उजड़ गए। तुम्हारी बु(ि का क्या कहना। कोई भी चमक बैठ गई है, तो आदमी चोरी करेगा, कुकर्म करेगा, पाप करेगा, इन्सानियत नहीं करेगा। किसी के दिमाग़ में कुर्सी की चमक है तो उनतकमत, अपहरण करवाएगी, चोरी, डकैती, बदमाशी, लूट-खसोट। समाज में झगड़े किसके हैं? कुर्सी के? कौन करवाते हैं? नेता। यदि ये नेता सुधर जाएं तो संसार में राम राज्य आ जाए। अमेरिका में झगड़ा किसका है? कुर्सी का। ईराक़ में? कुर्सी का। अफगानिस्तान, पाकिस्तान बांग्लादेश में? कुर्सी की वजह से। जम्मू कश्मीर में? कुर्सी। असम और उ. प्र. में? कुर्सी का। अगर कुर्सी पर राक्षस बैठा दिया जाए तो समझो सत्यानाश है। जितने भी नेता हैं उनमें से ९८ः राक्षस हैं। तो कहते हैं कि मनुष्यों की सृष्टि नहीं हो सकती। जानवरों की है, राक्षसों की है, असुरों की है, यही रहेगी। जितनी भी पार्टी बन रही हैं, सब कुर्सी के लिए ही लड़ झगड़ रही हैं, मर रही हैं। कुर्सी के लिए कुकर्म, भ्रष्टाचार कर रही हैं। सबके सब राक्षस हैं। आप कहते है 'मनुष्यों की सृष्टि करो'। कैसे करूँ? ब्रह्माजी भी कहने लगे कि हाँ, अब मनुष्य तो रह ही नहीं गए सिर्फ राक्षस रह गए हैं, हिरण्याक्ष रह गए हैं। सबके दिमाग़ में चमक भर गई है, जो भी पार्टी आती है। किसी भी पार्टी में चरित्र नहीं रह गया। जो भी सरकार आती है उसका चरित्र देखा जाता है पर आज चरित्र तो रह ही नहीं गया है नेताओं का। अब कर्म भी नहीं रहा। सब के सब अंधेरे में पाप कर रहे हैं, छुप कर पाप कर रहे हैं। कल तक ये मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर नहीं था, आज तो ये सोने का मुकुट लेकर चलता है। कल तक ये नेता नहीं था, सड़क छाप था अब नेता बन गया है। अब दुनियाँ भर की सोने की अंगूठी, जंजीरें लादकर चलता है। कल तक ये सड़क छाप था, आज तो लखपति हो गया है। कल तक ये लड़की आवारा थी, कोई पूछता नहीं था। आज तो सूबे की मन्त्री हो गई है।
Thursday, October 30, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 comments:
andher nagari choupat raja
narayan narayan
किस्सा कुर्सी का है । सुन्दर।
ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
--
साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
Post a Comment