Thursday, January 15, 2009

इतिहास में जितने भी झंझट हुए सब नेताओं ने ही करवाए।

शंकर जी थोड़ा खराब तो लगा परन्तु उन्होंने कुछ भी कहा नहीं। यज्ञ में उपस्थित अन्य राजा व देवतागण दक्ष प्रजापति की चापलूसी करने लगे। दक्ष कहते है नेता को। नेता वो जो नेतृत्व करे। पर इन नेताओं को सही है या गलत इससे कोई मतलब नहीं होता, इनका अहंकार बहुत होता है। सही गलत नहीं सोचते बय इनकी बदनामी होनी चाहिए। ये जितने भी झगड़े आज तक हुए हैं इनके पीछे ये नेतागण ही तो हैं। इतिहास में जितने भी झंझट हुए सब नेताओं ने ही करवाए। समाज यदि शान्ति से है, तो इन नेताओं को कौन पूछे? समाज में जब झगड़ा है, झंझट है तभी तो नेताओं को लोग पूछेंगे उनके चक्कर काटेंगे। तो ये नेता तो चाहते ही नहीं कि समाज में शान्ति हो। वे तो चाहते हैं कुछ न कुछ खटपट होती रहे और लोग उन्हें पूछते रहें। पूछ और मूँछ दोनों लम्बी होती रहे। कभी जाति का, कभी धर्म का कोई न कोई झगड़ा लगाए ही रहते हैं।

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