Friday, January 2, 2009

जो किसी से जकड़ा हुआ नहीं है, वही साधु है

अपने दिमाग को जितना खाली रखोगे, उतने ही धर्मात्मा होते जाओगे। यही रुद्र भगवान का कहना है। जगह को खाली नहीं छोड़ोगे तो रोओगे, पछताओगे। झगड़ा किसका? जगह को भरने, पकड़ने का ही तो झगड़ा है। कोई कुर्सी चाहता है, कोई जमीन, कोई मकान को जकड़ना चाहता है, पकड़ना चाहता है। इसी से सारी क्लेष है। साधु कौन है? जिसने किसी को पकड़ा हुआ - जकड़ा हुआ नहीं है। जो किसी से जकड़ा हुआ नहीं है, वही साधु है और नहीं तो स्वादु है।

1 comment:

विवेक सिंह said...

साधु स्वादु का फर्क खूब बताया ! आभार !