Sunday, January 11, 2009

विष्णु भगवान शान्ति चाहते हैं।

मैत्रेय )षि विदुर जी को बताने लगे- बहुत पुरानी बात है एक बार प्रजापतियों का उत्सव हुआ उसमें सब पधारे परन्तु उसमें विष्णु भगवान नहीं पधारे। विष्णु भगवान शान्ति चाहते हैं। गृहस्थी में शान्ति नहीं होती। कुछ न कुछ खटपट लगी ही रहती है तभी तो तुम सब यहाँ आए हो। खटपट छोड़ कर आए। विष्णु वहाँ नहीं थे, शंकर है- तमोगुण है, ब्रह्मा हैं- जो गुण है। सब देवता हैं- सभी इन्द्रियाँ है, मन है, प्राण है, बु(ि है, शक्ति है, पर शान्ति नहीं है, संतोष नहीं है विष्णु भगवान नहीं हैं।

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