दक्ष प्रजापति जब प्रविष्ट हुए तो सभी देवतागण खड़े हो गए पर ब्रह्मा व शिव जी नहीं खड़े हुए। दक्ष प्रजापति बोले कि ब्रह्मा जी तो चलो मेरे पिता हैं, नहीं खड़े हुए। पर यह शंकर तो मेरा दामाद है, बेटे के समान है इसने खड़े न होकर अपनी धृष्टता का परिचय दिया है-गँवार है यह। इसका अंश वंश कुल खाता रंग रूप कुछ भी तो नहीं है। ब्रह्माजी के कहने पर मैंने इस बिना कुल वंश वाले इस भूतनाथ को अपनी बेटी दे दी। सही है विवाह अंश-वंश देख कर ही करना चाहिए। ऐसा नहीं करने के कारण ही तो मेरा अपमान हो गया। दक्ष प्रजापति ने उन्हें बहुत बुरा भला कह कर यज्ञ से वंचित भी कर दिया।
Tuesday, January 13, 2009
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