ग्रन्थों को पढ़कर भी अभिमान में डूबा है-२
अपने ही पुजापे में पूजा को भूला है।
रुद्र, अंधेरों में क्यूँ नहीं उजियार किया?
तेरी मांग रहे सूनी ऐसा श्रृंगार किया।
इन तन को सजाने में....................।
बोलो- लीला विलास महाराज की जय।
हमने अपने चरित्र पर नहीं तन को सजाने पर ध्यान दिया चरित्र पर नहीं चमड़े और कपड़े पर ध्यान दिया। शास्त्रों में चरित्र संवारने की बात कही गई है उसे भूल गए। टी।वी। पर, फिल्मों में जो बात आती है वहीं ध्यान रह गई टी।वी। पर बात आती है, चमड़े और कपड़े की, दमड़ी की वही ध्यान रही बाकी चरित्र को संवारने की बात जो शास्त्रों में कही, संतों ने कही वह भूल बैठे और जीवन गँवा दिया।
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