Monday, February 16, 2009

अच्छी माँ के दुष्ट सन्तान नहीं हो सकती।

दिति ने पैर पकड़ लिए तो )षि बोले कि तेरे बच्चे तो राक्षस होंगे पर पोते जो होंगे वो भक्त होंगे। इस शाप के परिणामस्वरूप जय और विजय दिति के गर्भ में सौ वर्षों तक रहे फिर हिरण्याक्ष व हिरण्यकश्यप के रूप में इनका जन्म हुआ। हिरण्यकश्यप का पुत्र हुआ प्रहृलाद जो भक्त शिरोमणि बना। अच्छी माँ के अच्छी सन्तान होती है, दुष्ट माँ के दुष्ट सन्तान होती है। अच्छी माँ के दुष्ट सन्तान नहीं हो सकती। सन्तान के स्वभाव से ही माँ के स्वभाव का ऑकलन करना चाहिए। खेती होती है तो भूमि के तरीके से ही होती है। जमीन के जैसे परमाणु होंगे वैसी ही फसल होती है। माँ देवी होगी तो देवता पैदा होंगे और यदि माँ भूतनी होगी तो भूत ही पैदा होंगे।

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