जो आगे भलाई करे और पीछे बुराई ऐसे के घर पाँव न धरे और जो जाते ही विरोध करे उसके यहाँ भी नहीं जाना चाहिए साधु को। तो फिर किसके यहाँ जाना चाहिए साधु को?
"आवत ही हरषे भला, जाते ही दइये रोय।
तुलसी, ऐसे मित्र घर, भूखो रहियो सोय।''
जो आगे भलाई करे और पीछे बुराई ऐसे के घर पाँव न धरे और जो जाते ही विरोध करे उसके यहाँ भी नहीं जाना चाहिए साधु को। तो फिर किसके यहाँ जाना चाहिए साधु को?
"आवत ही हरषे भला, जाते ही दइये रोय।
तुलसी, ऐसे मित्र घर, भूखो रहियो सोय।''
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