"साधु भूखा मान का, धन का भूखा नाय।
जो ध का भूखा फिरे, सो कोई साधु नाय॥
आवत ही हट से नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी, वहाँ न जाइए, चाहे कंचन बरसे मेह॥
आवत ही हरसे भला, पीछे करे छबाऊ।
तुलसी ऐसे मित्र खल, भूल न धरियो पाव॥
"साधु भूखा मान का, धन का भूखा नाय।
जो ध का भूखा फिरे, सो कोई साधु नाय॥
आवत ही हट से नहीं, नैनन नहीं सनेह।
तुलसी, वहाँ न जाइए, चाहे कंचन बरसे मेह॥
आवत ही हरसे भला, पीछे करे छबाऊ।
तुलसी ऐसे मित्र खल, भूल न धरियो पाव॥
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