Sunday, July 12, 2009
बस धर्म की नीति पर चलो
तो सुनीति ने समझाया ध्रुव को, कि बेटा तुम्हें इस संसार में ही रहना है, तो तुम्हें सुन्दर नीति की सुनीति की जरूरत है। नीति की तो जरूरत है पर कठोर नीति नहीं कि कोई तुम्हारे काम में ही गड़बड़ी फैला जाए। दुनियाँ तुम्हें ठग रही है, लूट रही है तो तुम दुनियाँ से अपनी बात को छुपा करके बस धर्म की नीति पर चलो। अगर भगत जी बने तो एक मिनट नहीं चलेगी। आज लोगों ने धर्म को छोड़ दिया, नीति को छोड़ दिया, सुनीति को छोड़ दिया है, अपने मन को सुरुचि के साथ बेठी है दुनियाँ।
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