पवित्र लोग ही चाहते हैं कि कथा हो, सत्संग हो, हवन हो, दान-पुण्य हो, कीर्तन हो। इन कार्यों को करवाने की जो कहे, वह देवता है। गन्दे-गन्दे काम करने को जो कहे, वही असुर है। पर पवित्र काम शिव के बिना नहीं होगा। शिव कहते हैं ज्ञान को। बिना ज्ञान व समझ के पवित्र काम नहीं होगा। देवता अगर ज्ञान में चलते हैं तो मनोरथ सुफल होते हैं और अहंकार में चलते हैं तो सब गड़बड़ी होती है। इसलिए कभी अकड़ में काम नहीं करना चाहिए। हमेशा समझदारी से काम करें।
Friday, May 1, 2009
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