हर कोई आदमी मन की बात कहता मिलेगा, धर्म की बात कहने वाला नहीं मिलेगा। तुम्हारी बेटी आएगी तो तुमसे बेटी जैसी बात नहीं करेगी, अपनी समस्याओं की बात करेगी। वो भी अपनी सुरुचि को लटका कर घूम रही है। बेटे की बहू आएगी तो वो भी अपने मन की बात करेगी। चेला अपनी समस्याओं की बात करता है, ये नहीं कि चेले को क्या करना चाहिए।
Sunday, June 28, 2009
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2 comments:
सही लिखा।
bahut sundar
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